Wednesday 15 April 2009

धन्यवाद
आपके कमेन्ट मिले ,आपने मुछे पसंद किया ,कुछा कू सिकायत रही जैसा की लोगो को लगता है की हम यूथ सिर्फ़ कहते है करते कुछ नही पर जनाब एसा नही है,ये मेरे विचार सिर्फ़ विचार नही मेरे अन्तामन की आवाज है ये न सूचे की मेरे कथनी और करनी में अन्तर है मेरे अन्दर है वही बहार आया,बात पहले पहल करने की मैं तो पहल का चुकी और एस मुहीम को आप तक पहुचा दिया अब आपकी बारी .हम जबतक कामियाब नही हूँ सकते जब तक पुरे यूथ की साथ साथ आप बडो का भी असिर्वाद न मिले ,उम्मीद करती हूँ की आप मेरे लिखने के भावः को संचे गे
आशीर्वाद की आशा के साथ ________आप का नव युवा

Monday 13 April 2009

हम बदलाव ला सकते है

क्या हम इन विशंगतियु को दूर कर पाएंगे जो हमें हर पल जाती ,धर्म भाषा ,के नाम पर तोड़ रही है.हमें अपने जमीर से दूर कर रही है हम बिना देखे उन अनजान रास्तो पर जा रहेहै जहाँ सिर्फ़ अँधेरा और सिर्फ़ अँधेरा ही है जहाँ इंसानियत अन्धकार के साये में सो जाती है और हम सिर्फ़ बनकर रहा जाते है उन भेडोंकी तरह जो सिर्फ़ चली जा रही है एक अंधेरे कुँए में बिना कुछ सोछे
इस्वर ने अपनी बनाई हुई स्रष्टि कू सवारने के लिए इन्सान बनाया ,उसको दिल दिया रिस्तो ,भावनाओ को समछ ने के लिए,उर दिमाक अच्छे बुरे की पहचान की लिए पर हम आज उसी का दूर उपयुग कर रहे है चाहे वो मान्सुमो को धर्म की नाम पर बरगलाना चाहे फ़िर वो किसी भी धर्म के ठेक्र दार हो ,राजनीत की रोटिया सकने वाले ,या फ़िर हम जो इन की बातो में आते है और अपने दिल और दिमाक को बंद कर रखा है।हम इन्सान है कुछ समछ लाये हमारे लिए बेहतर होगा क्यूँ की अगर हम एक बेहतर आज न बना सके तो एक बेहतर कल बनाना muskil है तो जगू आज को सवारों सर्वा धर्म सम्भाव लायें यही एक बेहतर युक्ति है
धन्यवाद आज का यूथ

Sunday 12 April 2009

में आज के यूथ को belong करती हूँ,हम लोगू में कुछ आक्रोश है इस पुरानी
व्यवस्था कोलेकर ,पुराने विचार को लेकर.सायद यी सही है हम लोग आज दुनिया के साथ कदम मिलाने की वजाए न जाने किन विसयुं में उल्छे है ,कही धर्म के नाम पर ,कही जाती के नाम पर,कही पार्टी ,या वाद के नाम पर।
हम एक भारतीय है हामी पअहले देश के बारे में सोचना ,क्यूंकि अगर देशा प्रगति करेगा to हम,हम देश है न की देशः हम से,हमारी pahachhan पहले भारतीय है बाद में आज globlization का युग है हम aapas में ladkar wakat बरबाद कर रहे है कही darma पर कही पार्टी पर orr कुछ rajaneta अपनी rooti sek रहे है ur हम है की कुछा samachna नही chahateपहले hame हिंदू muslim shikhh की नाम पर ladaya जाता था,फिर ऊँचा nichha की rajneeti अब pradeshha के नाम पर ur हम lad रहे है बिना कुछ sooche.aab samaya आ गया है की हम हम jaage ur joo hame bragla rahai une pahchhne ,kunki कोई मन्दिर baanane से देश का nirmaan nahii hooga,हम gadde mude ukhhad रहे है भूत के pichhe भाग rahai है।
hame bhaarat का nirmaan करना है एक नए विचार के साथ,सभी धर्मों का anusaran करके niyamon का paalna karke ,क्यूंकि सभी daram nirmaan करना shikhate है एक युक्ति है sarwa धर्म sambhawa जो pahle sikhe हम phale ये anusarn कर लिए to भारत का एक नया rupa सामने आएगा saari muskil आसन hoo jyengi,कोई की सबसे बड़े bivibhata तू धर्मों की है जब सब मिल गए तू पुरा देशा एक jut hooga

ये मेरे persional विचार है अगर esase किसे koo thesh pahuchati है to chhama ,ur अपने विचार jarun de
thanks _____एक यूथ